दिसम्बर ’84 के भोपाल में यूनियन कार्बाइड गैस हादसे के पीड़ितों के बीच काम कर रहे पाँच संगठनों ने आज एक पत्रकार वार्ता में यह घोषणा की कि अतिरिक्त मुआवज़े के लिए सर्वोच्च न्यायालय में लम्बित सुधार याचिका के प्रति केंद्र तथा प्रदेश की सरकारों को उनकी ज़िम्मेदारियों को याद दिलाने के लिए पीड़ितों और उनके समर्थकों का एक दल अनिश्चितकालीन निर्जला अनशन पर बैठेंगे |
संगठनों ने कहा कि सरकार ने गैस काण्ड की 26 वीं बरसी पर अमरीकी यूनियन कार्बाइड और उसके मालिक डाव केमिकल कंपनी से गैस हादसे के लिए अतिरिक्त मुआवज़ा लेने के लिए दिसंबर 3, 2010 को सर्वोच्च न्यायालय में एक सुधार याचिका दायर की थी।
संगठनों ने केंद्र तथा प्रदेश की सरकारों पर यह आरोप लगाया की उन्होंने जानबूझ कर सुधार याचिका के प्रति लापरवाही बरती है ताकि अमरीकी कंपनियाँ भोपाल पीड़ितों को जायज़ मुआवजा देने से बच सके। “पिछले 4 सालों में सुधार याचिका पर मात्र एक सुनवाई हुई है और केंद्र तथा प्रदेश की सरकारों ने त्वरित सुनवाई के लिए आज तक कोई प्रयास नहीं किए है,” कहती है भोपाल ग्रुप फॉर इन्फार्मेशन एंड एक्शन की रचना ढिंगरा। उन्होंने कहा कि सरकारों ने यूनियन कार्बाइड, डाव केमिकल और एवरेड्डी इंडस्ट्रीज़ इंडिया लिमिटेड द्वारा पेश किए गए दलीलों का भी आज तक कोई जवाब नहीं दिया है।
संगठनों ने बताया की सुधार याचिका के मुद्दे पर प्रदेश तथा केंद्र की सरकारों को पीड़ितों के सही मुआवज़े के कानूनी अधिकार की रक्षा की संवैधानिक ज़िम्मेदारी की याद दिलाने के लिए वे शांतिपूर्ण सीधी कार्यवाही की मुहीम छेड़ेंगे। उन्होंने कहा कि सुधार याचिका में हादसे की वजह से हुए नुक़सान को कम करके बताया गया है और कंपनियों से बहुत कम राशि माँगी गई है।
“1985 में केंद्र सरकार ने मुआवज़े में 330 करोड़ डॉलर की माँग की थी जो आज के हिसाब से 700 करोड़ डॉलर है। यूनियन कार्बाइड के आज तक 47 करोड़ डॉलर दिए हैं इसलिए सरकार को कम से कम 650 करोड़ डॉलर माँगना चाहिए लेकिन सुधार याचिका में सरकारें सिर्फ़ 120 करोड़ डॉलर माँग रही है,” कहते है भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव।
भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी ने कहा “अतिरिक्त मुआवज़े की छोटी राशि को सही ठहराने के लिए सरकारें गैस हादसे की वज़ह से हुई मौतों और बीमारियों के छलपूर्ण आँकड़े पेश कर रही है। सरकार कहती है कि गैस काण्ड की वजह से सिर्फ 5295 लोग ख़त्म हुए हैं जबकि उनके अपने चिकित्सीय शोध संस्थान के वैज्ञानिक अध्ययन बताते हैं कि हादसे के बाद के 9 सालों में ही इससे दो गुना लोग मारे गए।”
भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष नवाब खाँ ने बताया कि मध्य प्रदेश सरकार द्वारा प्रकाशित आँकड़े यह दर्शाते हैं कि गैस पीड़ितों के लिए बने अस्पतालों में सन 2010 में पुराने रोगियों की संख्या 431495 है। “इलाज के लिए दूसरी जगहों पर जाने वाले पीड़ितों को शामिल करते हुए यह कहा जा सकता है कि 1984 में गैस से प्रभावित हुई आबादी के 90% से अधिक को आज तक अस्पताल जाना पड़ रहा है, दूसरी तरफ सरकार ने सुधार याचिका में यह आँकड़ा पेश किया है कि 93% पीड़ित मात्र 1 दिन के लिए अस्पताल गए” ।
संगठनों ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री, केंद्र रसायन एवं खाद्द मंत्री तथा मुख्यमंत्री को सही मुआवज़े के लिए शांतिपूर्ण सीधी कार्यवाही के अंतर्गत निर्जला अनशन के निर्णय की जानकारी भेज दी है।
रशीदा बीभोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ
9425688215 |
बालकृष्ण नामदेवभोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा
9826345423 |
नवाब खाँभोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा
8718035409 |
सतीनाथ षड़ंगी, रचना ढिंगराभोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन
9826167369 |
साफरीन ख़ानडाव-कार्बाइड के ख़िलाफ बच्चे
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