20 नवम्बर 2014
दिसम्बर 84 के भोपाल में यूनियन कार्बाइड हादसे के पीड़ितों के पाँच संगठनों ने आज एक पत्रकार वार्ता में नई दिल्ली में उनके हाल के आंदोलन में ऐतिहासिक जीत हासिल करना का दावा किया। संगठनों ने कहा कि उन्हें यह उम्मीद है की केंद्रीय मंत्री और अधिकारियों के साथ हुई चर्चा के निर्णयों पर जल्द-से-जल्द कार्यवाही होगी।
“मंत्री जी ने कहा है कि वह यूनियन कार्बाइड द्वारा पहुँचाए गए नुकसान का आँकलन वैज्ञानिक आँकड़ों पर करने में प्रतिबद्ध है। चिकित्सीय शोध के आँकड़ों और अस्पतालों के रिकॉर्ड में इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि 90% से अधिक गैस पीड़ितों को पहुँचा नुकसान न तो मामूली है और न ही अस्थाई। इस तरह से उन गैस पीड़ितों को अब 1 लाख रूपए अतिरिक्त मुआवज़े की पात्रता होगी जिन्हें पहले इससे वंचित किया गया था”, कहती है भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की रशीदा बी।
पाँच संगठनों द्वारा बुलाई गई पत्रकार वार्ता में पाँच गैस पीड़ित महिलाएँ प्रेमलता, विष्णु बाई, कस्तूरी बाई, शहज़ादी बी, कमला बाई और उनके समर्थक भोपाल ग्रुप फॉर इन्फार्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा जो 4 दिन तक निर्जला अनशन पर रहने वाले शामिल रहे।
भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के बालकृष्ण नामदेव ने कहा, “हमें यह बताते हुए खुशी है
कि भोपाल गैस काण्ड के प्रभारी केंद्रीय मंत्री ने इस बात के लिए सहमति जताई है कि गैस काण्ड की वजह से हुई मौतों और शारीरिक नुकसान के आँकलन के लिए अब तक इस्तेमाल किए गए गलत आधार के बदले वैज्ञानिक शोध और अस्पतालों के रिकॉर्ड का उपयोग किया जाएगा। उन्होंने हमें विश्वास दिलाया है कि इसी आधार पर सुधार याचिका में बदलाव किए जाएँगे और इसकी त्वरित सुनवाई के लिए आवेदन सर्वोच्च न्यायालय में भी पेश किया जाएगा”।
भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा के नवाब खां ने कहा कि हमें यह विश्वास दिलाया गया है कि केंद्रीय मंत्रालय शोध के आँकड़े एवं अस्पताल के रिकॉर्ड मँगाने के बारे में केंद्र तथा प्रदेश की एजेंसी से जल्द-से-जल्द पत्राचार करेगा।
“मंत्री जी ने हादसे की वजह से पहुँचे नुकसान के आँकलन के लिए दोषपूर्ण मेडिकल वर्गीकरण के आधार को ख़त्म कर दिया है और इसके लिए हम उन्हें धन्यवाद देते है। ऊटपटांग नतीजों वाला अवैज्ञानिक वर्गीकरण एक 27 साल पुरानी गलती है जिसकी वजह से गैस पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पाया है”, कहती है डाव – कार्बाइड के खिलाफ बच्चों की संस्थापिका साफरीन ख़ान।
रचना ढींगरा कहती हैं, “हमें पूरा यकीन है कि जब सुधार याचिका में वैज्ञानिक आँकड़ों के आधार पर बदलाव किए जाएँगे तो यूनियन कार्बाइड और डाव केमिकल से ली जाने वाली मुआवज़े की रकम में भी ख़ास बढ़ोतरी होगी। इससे प्रत्येक गैस पीड़ित को कम्पनियों से 5 लाख से अधिक मुआवज़ा मिल सकेगा”
अनशनकारी महिलाएँ जो अभी निर्जला अनशन के असर से उबर रही हैं, ने कहा कि अगर ज़रूरत पड़े तो वह फिर से इस तरह अपना विरोध प्रकट करेंगी।
रशीदा बीभोपाल गैस पीड़ित स्टेशनरी कर्मचारी संध9425688215 | बालकृष्ण नामदेवभोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा9826345423 | नवाब खांभोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा8718035409
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रचना ढींगरा, सतीनाथ षडंगीभोपाल ग्रुप फॉर इन्फार्मेशन एंड एक्शन9826167369 | साफरीन खांडाव-कार्बाइड के खिलाफ बच्चे |
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