प्रेस विज्ञप्ति
फरवरी 24, 2015
भोपाल में यूनियन कार्बाइड हादसे के पीड़ितों के बीच काम कर रहे पाँच संगठनों ने आज एक पत्रकार वार्ता में संयुक्त राष्ट्र संघ के पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा यूनियन कार्बाइड कारखाने के आस-पास के जहरीले प्रदूषण के वैज्ञानिक आंकलन की सम्भावना व्यक्त की | संगठनों के नेताओं ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर की भोपाल यात्रा के दौरान उनसे इस सम्बन्ध में चर्चा की है |
संगठनों ने बताया कि उनके अमरीकी समर्थकों ने संयुक्त राष्ट्र संघ के पर्यावरण कार्यक्रम को पत्र भेजकर उनसे आग्रह किया था कि वे परित्यक्त कार्बाइड कारखाने के पास वैज्ञानिक जाँच द्वारा यह पता करें कि कौन से रासायनिक ज़हर कितनी दूरी और कितनी गहराई तक फैले हुए है | इस पत्र के जवाब में संयुक्त राष्ट्र संघ के पर्यावरण कार्यक्रम के अधिकारियों ने यह बताया कि भोपाल में वैज्ञानिक आंकलन के आवेदन पर विचार करने के लिए उन्हें भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय से औपचारिक चिट्ठी की ज़रुरत होगी |
संगठनों ने बताया की इन्डियन इंस्टीटयूट ऑफ़ टॉक्सिकोलोजी रिसर्च के 2012 की रिपोर्ट के अनुसार यूनियन कार्बाइड द्वारा ज़हरीले कचरे के निष्पादन में बरती गयी लापरवाही की वजह से कारखाने से 3.5 किलोमीटर के अन्दर 22 बस्तियों का मिट्टी और भूजल प्रदूषित हो गया है | हाल की जांचों से यह पता चल रहा है कि पिछले दो सालों में यह प्रदूषण और भी ज़्यादा फ़ैल गया है |
संगठनों ने कहा कि भोपाल कारखाने के कचरे के निष्पादन की योजना अमरीकी यूनियन कार्बाइड ने बनाई थी और “जो प्रदूषण करे वही हर्जाना भरे” के सिद्धांत के अनुसार यही कंपनी ज़हर सफाई के लिए कानूनी रूप से ज़िम्मेदार है | उन्होंने बताया की 2001 में डाव केमिकल ने अमरीकी यूनियन कार्बाइड को खरीद लिया इसलिए वर्तमान में भोपाल कारखाने के आसपास के ज़हर सफाई की कानूनी ज़िम्मेदारी डाव केमिकल की है | उन्होंने बताया कि इस सम्बन्ध में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में जारी प्रकरण में भारत सरकार ने बतौर अग्रिम डाव केमिकल से ज़हर सफाई के लिए 350 करोड़ की राशि की मांग की है | उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा वैज्ञानिक आंकलन के द्वारा कंपनी की कानूनी ज़िम्मेदारी की वास्तविक राशि और ज़हर सफाई के लिए इस्तेमाल किए जानेवाली तकनीक के बारे में सही जानकारी मिल सकेगी |
संगठनों ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र संघ के पर्यावरण कार्यक्रम को पर्यावरणीय आंकलन का लंबा अनुभव है और यह एक स्वतंत्र संस्था है इसलिए भोपाल के प्रदूषण के आंकलन के लिए यही सबसे सही है | संगठनों ने बताया की श्री जावडेकर ने इस विषय पर 15 दिनों के अन्दर फैसला लेने की बात कही है |
रशीदा बीभोपाल गैस पीड़ित स्टेशनरी कर्मचारी संध9425688215 | बालकृष्ण नामदेवभोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा9826345423 | नवाब खांभोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा8718035409 | रचना ढींगरा, सतीनाथ षडंगी भोपाल ग्रुप फॉर इन्फार्मेशन एंड एक्शन9826167369 | साफरीन खांडाव-कार्बाइड के खिलाफ बच्चे |
Photo Credit: Giles Clarke/Reportage by Getty
Share this:



