भोपाल गैस पीड़ित संगठन गैस हादसे की वजह से हुई मौतों और शारीरिक क्षति के सही आंकड़ों के लिए भारत सरकार के विरुद्ध दिल्ली उच्च न्यायालय जाएगें

प्रेस विज्ञप्ति

नवम्बर 14, 2015

भोपाल गैस काण्ड के पीड़ितो के हको के लिए लड़नेवाले पाँच संगठनो के नेताओं ने आज एक पत्रकार वार्ता में यूनियन कार्बाइड और डाव केमिकल से अतिरिक्त मुआवज़ा लेने के मामले में केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा जानबूझ कर की जा रही देरी की निंदा की।

आज से ठीक एक साल पहले छः महिलाओं के चार दिनों के निर्जला अनशन के बाद संगठनो ने गैसकांड की वजह से हुए मौतो और शारीरिक क्षति के आँकडो पर पुनर्विचार की लड़ाई जीती थी| रसायन एवं खाद मंत्री द्वारा सम्बंधित विभागो से हादसे की वजह से हुई मौतो और शारीरिक क्षति के सही आँकड़े माँगने की सहमति पर ही महिलाओं ने अपना अनशन तोडा  था ।

संगंठनो से हुई बातचीत के मुताबिक़ हादसे की वजह से हुई शारीरिक क्षति के आँकड़े प्रदेश सरकार द्वारा अस्पतालो  के रिकॉर्डों से जुटाए जाने थे। साथ ही भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आई.सी.एम.आर.) को भोपाल पीड़ितों पर किए गए शोध अध्ययनो के आधार पर हादसे की वजह से हुई मौतोँ पर वैज्ञानिक आँकड़े उपलब्ध कराने थे। इस  बात पर सहमति हुई थी कि केंद्र और राज्य संस्थाओं द्वारा आँकड़े उपलब्ध कराने के बाद रसायन एवं खाद मंत्रालय अमरीकी कम्पनियोँ से अतिरिक्त मुआवज़े के लिए दायर सुधार के आँकड़ो पर पुनर्विचार करेंगी।

भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्षा रशीदा बी ने कहा “रसायन एवं खाद मंत्रालय की चिट्ठी का जवाब देने में ही प्रदेश सरकार ने 6 महीने लगा दिए।[1][2][3] अब साल होने को है और अब तक प्रदेश सरकार गैस हादसे के बाद अस्पतालों में इलाज लेने वाले गैस पीड़ितों की संख्या नहीं बता पाई है।”

भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव ने बताया कि उनके द्वारा जानकारी के अधिकार के तहत उपलब्ध दस्तावेज़ यह बताते हैं कि रसायन एवं खाद्य मंत्रालय द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब देने से बचने की पैंतरेबाजी में जुटे हैं।[4][5][6]

भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा के नवाब खां के अनुसार 80,000 पीड़ितो पर 10 साल के अध्ययन के बाद गैस काण्ड की वजह से हुई मौतोँ के वैज्ञानिक आँकड़े जुटाने में असफल होकर डा. पदम सिंह की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति अपनी संस्था और महामारी विज्ञान दोनो को बदनाम कर रही है।

भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन के सतीनाथ षडंगी ने बताया कि सभी संगठन जल्द ही आई.सी.एम.आर. के विशेषज्ञों की वजह से भोपाल गैस पीड़ितो के न्याय पाने के संवैधानिक अधिकार के हनन के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय जायेंगे।

डाव-कार्बाइड के खिलाफ बच्चे की साफरीन ख़ान ने कहा “यह देश के लिए शर्म की बात है कि भोपाल में यूनियन कार्बाइड हादसे के सरलतम वैज्ञानिक सवाल आज तक अनुत्तरित हैं और यह हमें कतई मंज़ूर नहीं कि सरकारी वैज्ञानिकों के निकम्मेपन की वजह से भोपाल पीड़ितों को उनके हक़ का मुआवज़ा न मिले।“

रशीदा बी

भोपाल गैस पीड़ित स्टेशनरी कर्मचारी संघ

9425688215

बालकृष्ण नामदेव

भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा, 9826345423

नवाब खाँ

भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा

8718035409

रचना ढींगरा, सतीनाथ षडंगी

भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन, 9826167369

साफरीन ख़ान

डाव-कार्बाइड के खिलाफ बच्चे

अधिक जानकारी के लिए www.bhopal.net पर जाए

 

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