यूनियन कार्बाइड गैस हादसे की 31 वीं बरसी के पूर्वसंध्या में पीड़ितों के पाँच संगठनों ने मिलकर अपराधी कंपनियों को सज़ा और पीड़ितों को अतिरिक्त मुआवजे लिए संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया

प्रेस विज्ञप्ति

दिसम्बर 02, 2015

भोपाल में यूनियन कार्बाइड गैस हादसे की 31 वीं बरसी के पूर्वसंध्या में पीड़ितों के पाँच संगठनों  ने आज एक मशाल जूलूस निकाली |   जूलूस का समापन परित्यक्त यूनियन कार्बाइड कारखाने के सामने भोपाल माता की मूर्ती पर हुआ जहाँ संगठनों के सदस्यों ने गैस्काण्ड के मृतकों को श्रद्धांजली दी |  संगठनो के सदस्यों ने मिलकर अपराधी कंपनियों को सज़ा और पीड़ितों  को अतिरिक्त मुआवजे  लिए संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया ।

संगठनों ने कहा की भारत सरकार ने 3 दिसंबर 2010 को युनियन कार्बाइड और उसके मालिक डाव केमिकल से 1.2 बिलियन डॉलर का अतिरिक्त मुआवजा लेने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में सुधार याचिका दायर की थी । उनके अनुसार पिछले 5 सालों में इस याचिका पर मात्र एक बार सुनवाई हुई है और भारत सरकार द्वारा त्वरित सुनवाई के लिए आज तक एक भी आवेदन प्रस्तुत नहीं किया गया है ।

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संगठनों का आरोप है की भारत सरकार ने सुधार याचिका में यूनियन कार्बाइड द्वारा पहुँचाए गए नुकसान को कम करके बताया है और अतिरिक्त मुआवजे के तौर पर बहुत छोटी राशि की मांग की है । “1985 में भारत सरकार ने मुआवजा बतौर 3.3 बिलियन डॉलर की मांग की थी जो आज के दर से 7 बिलियन डॉलर होगा । यूनियन कार्बाइड ने आज तक मुआवजे में सिर्फ 470 मिलियन डॉलर दिया है । सरकार को सुधार याचिका के तहत कम से कम 6.5 बिलियन डॉलर माँगने चाहिए और जो माँगा जा रहा है वो उसके पांचवे हिस्से से भी कम है,” कहती है भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की रशीदा बी ।

भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव ने कहा, “केंद्र और प्रदेश की सरकारे हादसे के वजह से हुई मौतों और बीमारियों के झूठे आंकड़ों के आधार पर अतिरिक्त मुआवजे में बहुत कम धनराशि की मांग कर रहे है । सरकार कहती है की हादसे में सिर्फ 5295 लोग मारे गए जबकि सरकारी शोध संस्था के रिकार्ड बताते है की गैस काण्ड के  बाद के 9 सालों में 10,000 से ज्यादा लोग मारे गए है ।”

भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा के नवाब खां ने बताया की मध्य प्रदेश सरकार द्वारा प्रकाशित आंकड़े यह बताते है की सन 2010 में गैस पीड़ितों के अस्पतालों में इलाज लेने वालों में से 431495 पुराने रोगी थे । “अस्पतालों के अलावा इलाज के लिए दूसरी जगह जाने वाले पीड़ितों की अगर गिनती की जाए तो यह निश्चित तौर पर कहा जा सकता है की 1984 में गैस से प्रभावित लोगों में से 90% को आज भी अस्पतालों में इलाज लेना पड़ रहा है । इसके विपरीत केंद्र और राज्य सरकार द्वारा दायर सुधार याचिकाओं में यह कहा गया है की ९३% पीड़ित सिर्फ एक दिन के लिए अस्पताल गए है “, उन्होंने कहा  |

भोपाल ग्रुप फॉर इनफार्मेशन एंड एक्शन के सतीनाथ षडंगी के मुताबिक़ भारत सरकार के साथ दो अमरीकी कंपनियों -यूनियन कार्बाइड और  वर्तमान मािलक डाव केमिकल कंपनी की सांठगांठ जारी रहने के वजह से ही गैस पीड़ितों को  इन्साफ नहीं मिल पा रहा है ।

“आज के दौर में अमरीकी कंपनियों और भारत सरकार की नापाक सांठगांठ और भी मजबूत हो गई है । मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भोपाल के कातिलों के खिलाफ इन्साफ हासिल करना और भी मुशिकल हो गया है,” कहती है डाव कार्बाइड के खिलाफ बच्चों की साफरीन खां ।

 

रशीदा बी

भोपाल गैस पीड़ित स्टेशनरी कर्मचारी संघ

9425688215

बालकृष्ण नामदेव

भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा, 9826345423

नवाब खाँ

भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा

8718035409

रचना ढींगरा, सतीनाथ षडंगी

भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन, 9826167369

साफरीन ख़ान

डाव-कार्बाइड के खिलाफ बच्चे

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