पत्रकार वार्ता
2 दिसंबर 2018
भोपाल में यूनियन कार्बाइड हादसे की 34 वीं बरसी पर आयोजित एक वार्ता में पीड़ितों के चार संगठनों के नेताओ ने श्री मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से भारत सरकार द्वारा आपराधिक कंपनियों का बचाव और पीड़ितों के प्रति लापरवाही और ज्यादा शिद्द्त से हो रही है |
संगठनों ने कहा कि यूनियन कार्बाइड के मालिक डाव केमिकल के साथ श्री मोदी के विशेष सम्बन्ध सन 2008 से उजागर है जब उनके मुख्यमंत्री रहते डाव कंपनी ने गुजरात केमिकल्स एन्ड एल्कालिस के साथ जॉइंट वेंचर बनाने की कोशिश की थी | प्रधानमंत्री की हैसियत से श्री मोदी ने अपने 2015 की अमरीकी यात्रा के दौरान डाव केमिकल के सी.ई.ओ को विशेष भोज पर बुलाया था और उनके साथ फोटो भी खिचवाई थी |
भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्षा श्रीमती रशीदा बी ने कहा, “अब से दो महीने में डाव डुपोंट के तीन टुकड़े होना शुरू होंगे जिससे यूनियन कार्बाइड गायव हो जाएगी और प्रधानमंत्री के कार्यालय से गायव होने से रोकने के लिस एक भी कदम उठाया नहीं गया है | फरवरी में भेजी गई हमारी चिट्ठी (PMOPG/D/2018/0084804) प्रधानमंत्री के दफ्तर के शिकायत निवारण पोर्टल पर पिछले 8 महीने से लंबित रही और पिछले हफ्ते इसे भोपाल के किसी अवर सचिव को भेजा गया है जिन्हे संभवता इसका कोई ज्ञान नहीं है | मई 2014 से फरार यूनियन कार्बाइड को अदालत में हाजिर करने के सम्बन्ध में भोपाल जिला अदालत द्वार डाव केमिकल को बार बार नोटिस भेजा जा चुका है जिसकी अवहेलना की जा रही है | 1991 में भारत और अमरीकी के बीच पारस्परिक कानूनी सहायता संधी के शर्तों के मुताबिक़ अमरीकी सरकार के न्याय विभाग द्वारा डाव केमिकल पर समन तामील कराने में मोदी जी असफल रहे है |
“हाल के वैज्ञानिक अध्ययन यह बताते है कि यूनियन कार्बाइड की गैसों की वजह से भोपाल में मौतों और बीमारियों का सिलसिला जारी है पर आज तक भोपाल पीड़ितों के इलाज की निगरानी के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित समिति कि 80% से अधिक अनुशंसाओं को अमल में नहीं लाया गया है | 1 लाख से अधिक गैस पीड़ितों और उनके बच्चौ को रोजगार दिलाने के लिए आवंटित राशि का उपयोग मंत्री द्वारा अपने चुनाव क्षेत्र में सड़के, नाले और पार्क बनाने के लिए किया जा रहा है | प्रदूषित भूजल से प्रभावित परिवारों को सुरक्षित आवास मुहैया कराने के लिए आवंटित धनराशि का भी इसी तरह दुरूपयोग किया जा रहा है”, कहते है भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा के श्री नवाब खां
भोपाल ग्रुप फॉर इनफार्मेशन एन्ड एक्शन की रचना ढिंगरा ने कहा, “2010 में कांग्रेस की सरकार को यह अहसास हुआ कि भोपाल पीड़ितों को मिला मुआवजा अपर्याप्त है तो उन्होंने 1.2 अरब डॉलर के अतिरिक्त मुआवजे की मांग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय में सुधार याचिका पेश की | पर पिछले 8 सालों में कांग्रेस और भाजपा की सरकारों के द्वारा याचिका की त्वरित सुनवाई के लिए एक भी अर्जी पेश नहीं की गई है और तब से सुधार याचिका बगैर कार्यवाही लंबित है | बहुत साफ़ है कि सरकार गैस पीड़ितों के कानूनी हक़ से ज्यादा अमरीकी कंपनियों के हितों की रक्षा में लगी है | ”
डाव-कार्बाइड के खिलाफ बच्चे की नौशीन खां के मुताबिक़, “यूनियन कार्बाइड कारखाने के बाहर जमीन के नीचे दबे हज़ारों टन जहरीले कचरे के कारण भूजल का प्रदूषण जारी है | 2004 में जब सर्वोच्च न्यायालय ने भोपाल के इस दूसरे पर्यावरणीय हादसे पर नज़र डाली तब से प्रदूषण 1 लाख की कुल आबादी वाले 42 मोहल्लों में फ़ैल चुका है | भारत और अमरीका के कानून के अनुसार डाव केमिकल इस ज़हर को साफ़ करने के लिए कानूनी रूप से जिम्मेदार है पर आज तक केंद्र और प्रदेश की सरकारों ने इस बारे में कुछ किया नहीं है”
भोपाल के औद्योगिक हादसे से औद्योगिक प्रदूषण की समस्या के तार जोड़ते हुए प्रदूषण और स्वास्थ्य पर लान्सेट कमीशन की हाल की रिपोर्ट का हवाले से संगठन के नेताओ ने औद्योगिक प्रदूषण को दुनिया भर में इंसानी मौतों के सबसे बड़े पांच कारणों में से एक बताया | “भोपाल के जैसे ही औद्योगिक प्रदूषण के 90% प्रकरण कंपनियों के द्वारा इंसानी सेहत और पर्यावरण के प्रति आपराधिक लापरवाही की वजह से है | प्रदूषण से निपटने लिए उसे उसके सही नाम – कॉर्पोरेट अपराध से पुकारना चाहिए और उपयुक्त सज़ा की मांग करनी चाहिए” |
रशीदा बी
भोपाल गैस पीड़ित स्टेशनरी कर्मचारी संघ 9425688215 |
नवाब खाँ
भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा 8718035409 |
रचना ढींगरा, सतीनाथ षडंगी
भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन, 9826167369 |
नौशीन ख़ान
डाव–कार्बाइड के खिलाफ बच्चे |
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