भोपाल हादसे के लम्बित मसलों को सुलझाने में मोदी सरकार विफल – पीड़ितों के हकों के लिए लड़ने वाले संगठन

प्रेस विज्ञप्ति

नवम्बर 30, 2015

भोपाल में यूनियन कार्बाइड हादसे की 31 वीं बरसी पर आयोजित पत्रकार वार्ता में पीड़ितों के हकों के लिए मिलकर लड़ने वाले पाँच संगठनों के नेताओं ने आज हादसे के लम्बित मसलों को सुलझाने में मोदी सरकार की विफलता की तीव्र भर्त्सना की | उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा पर्यावरण और श्रम कानूनों में जो बदलाव प्रस्तावित हैं उनसे देश भर में भोपाल जैसे हादसे की आशंका बढ़ जाएगी |

भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्षा श्रीमती रशीदा बी ने कहा, “भारतीय अदालतों की अवहेलना करने वाली अमरीकी कम्पनियों के खिलाफ कार्रवाई में केंद्रीय सरकार पूरी तरह से विफल रही है । भोपाल के मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी ने डाव केमिकल को हाज़िर होने के लिए पिछले एक साल में तीन बार नोटिस भेजे हैं पर भारत सरकार इस कम्पनी को अदालत  में हाज़िर नहीं करा पाई है।” वह कहती हैं |

संगठनों ने कहा कि मोदी के कार्यकाल में सी. बी. आई. ने जानबूझकर डाव केमिकल की भारतीय शाखा द्वारा रिश्वत देने के मामले से कम्पनी को बच निकल जाने दिया |  “सी. बी. आई. हमेशा इन कम्पनियों के खिलाफ कार्रवाई में ढील बरतती आई है लेकिन मोदी जी के अधीन यह ब्यूरो जितनी ढीली हुई है इसने तीस सालों के ढिलाई का रिकॉर्ड तोड़ दिया है |” कहते हैं भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष श्री बालकृष्ण नामदेव|

भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा के श्री नवाब ख़ान ने भोपाल के परित्यक्त यूनियन कार्बाइड कारखाने के आसपास जारी ज़हरीले प्रदूषण के वैज्ञानिक आंकलन करने की संयुक्त राष्ट्रसंघ की पर्यावरण संस्था यूनेप के प्रस्ताव का लाभ उठाने में मोदी सरकार की  विफलता पर नाराज़गी जाहिर की | “इस इलाके की ज़हर सफाई के लिए सबसे पहले जमीन के नीचे के प्रदूषण का वैज्ञानिक आंकलन होना ज़रूरी है पर पर्यावरण मन्त्री ने बगैर कारण बताए यूनेप के इस अभूतपूर्व प्रस्ताव को ठुकरा दिया।” उन्होंने कहा|

प्रधान मन्त्री पूरे देश को साफ़ सुथरा बनाने की बात करते हैं पर भोपाल के कारखाने के अंदर और आसपास जमीन के नीचे दबे हज़ारों टन ज़हरीली कचरे की उनके स्वच्छता अभियान में कोई जगह नहीं है |” कहती हैं डाव कार्बाइड के ख़िलाफ़ बच्चे की साफरीन ख़ान|

संगठनों ने मोदी सरकार द्वारा कानूनों में प्रस्तावित उन बदलावों के बारे में आशंका व्यक्त किया जिनसे भोपाल जैसे हादसे और बढ़ेंगे। ‘वर्तमान सरकार के प्रस्ताव के मुताबिक़ पर्यावरण और श्रम के मामलों में कंपनियों  को यह अधिकार होगा कि वे अपने को सही होने का प्रमाण पत्र खुद ही  जारी कर सकें| इससे तो उन्हें देश भर में भोपाल जैसे हादसे घटाने के लिए प्रोत्साहन ही मिलेगा।” कहते हैं भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एण्ड एक्शन के सतीनाथ षडंगी|

 

रशीदा बी

भोपाल गैस पीड़ित स्टेशनरी कर्मचारी संघ

9425688215

बालकृष्ण नामदेव

भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा, 9826345423

नवाब खाँ

भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा

8718035409

रचना ढींगरा, सतीनाथ षडंगी

भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन, 9826167369

साफरीन ख़ान

डाव-कार्बाइड के खिलाफ बच्चे

अधिक जानकारी के लिए www.bhopal.net पर जाए

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