दिसंबर 84 के यूनियन कार्बाइड गैस हादसे के पीड़ितों के बीच काम कर रहे चार संगठनों ने आज एक पत्रकार वार्ता में गैस हादसे के आपराधिक मामले में डाव केमिकल कंपनी को भोपाल जिला अदालत के समन तामील कराने में अपनी सफलता का जश्न मनाया | उन्होंने मांग की की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) पिछले 22 सालों से एक भगोड़े अपराधी को शरण देने के लिए यूनियन कार्बाइड के मालिक अमरीकी डाव केमिकल को ऐसी सज़ा दिलवाए कि वह एक मिसाल बने |
सांसदों ने अमरीका के न्याय विभाग को 7वीं बार भारत के अनुरोध पर कार्यवाही करके द्विपक्षीय संधि के दायित्वों का सम्मान करने पर जोर दिया, ताकि वह अमरीका की रासयनिक कम्पनी (डाव केमिकल) को समन भेजे
भोपाल में 1984 की यूनियन कार्बाइड गैस हादसे से पीड़ित 10 महिलाओं ने हादसे से हुई मौतों और चोटों के लिए उचित अतिरिक्त मुआवजे की माँग लेकर आज बिना पानी के अपना अनिश्चितकालीन अनशन शुरू किया। सत्याग्रह का नेतृत्व कर रहे पीड़ितों के पाँच संगठनों के नेताओं ने पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि यदि केंद्र व राज्य सरकारें जल्द ही सुनी जाने वाली सुधार याचिका में मौतों और चोटों के आंकड़ों में संशोधन नहीं करती हैं तो भोपाल के पीडि़तों को एक बार फिर यूनियन कार्बाइड और उसके मालिक डाव केमिकल से उचित मुआवजे लेने से वंचित कर दिया जाएगा।
भोपाल में यूनियन कार्बाइड हादसे के पीड़ितों के पाँच संगठनों ने आज एक पत्रकार वार्ता में दिसम्बर 1984 के गैस हादसे में हुई मौतों और चोटों के आँकड़ों पर राज्य और केंद्र सरकारों की चुप्पी की निंदा की। उन्होंने घोषणा की कि यदि उन्हें 26 दिसम्बर तक सुधार याचिका में आँकड़ों के सुधार की जानकारी नहीं मिली , तो वे सरकारों से अपना वादा पूरा करवाने के लिए शान्तिपूर्ण जन आन्दोलन शुरू करेंगे। ज्ञातव्य है कि भोपाल गैस हादसे के लिए अमरीकी कम्पनी यूनियन कार्बाइड और उसके मालिक डाव केमिकल से अतिरिक्त मुआवज़े की माँग करते हुए 2010 में केन्द्र सरकार द्वारा दायर सुधार याचिका की जल्द ही 10 जनवरी को सुनवाई होगी |
भोपाल गैस त्रासदी की 38वीं वर्षगांठ पर, 3 दिसंबर 1984 की यूनियन कार्बाइड गैस आपदा से पीड़ित हजारों लोगों ने आज नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया और मांग की कि सरकार को आपदा के कारण होने वाली मौतों और स्वास्थ्य संबंधी खतरों के सटीक आंकड़े सामने लाने चाहिए। त्रासदी के 40 हजार जीवित बचे लोगों द्वारा हस्ताक्षरित याचिका द्वारा अतिरिक्त मुआवजे के लिए उनकी उपचारात्मक याचिका में सुधार की मांग की गई है, जिसकी सुनवाई 10 जनवरी, 2023 को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच द्वारा की जाएगी। भोपाल पीड़ितों के लिए सप्रीम कोर्ट में केस लड़ने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता, करुणा नंदी, और दलित श्रम अधिकार कार्यकर्ता नोदीप कौर सहित अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तित्व और आम नागरिक जंतर-मंतर पर भोपाल पीड़ितों की लड़ाई और संघर्ष में शामिल हुए, जिन्होंने पीड़ितों के लिए न्याय की मांगों को दोहराया।