भोपाल में यूनियन कार्बाइड गैस हादसे के पीड़ितों के पांच संगठनों ने आज एक पत्रकार वार्ता में केन्द्र तथा प्रदेश की सरकारों द्वारा अतिरिक्त मुआवज़े के बारे में किए गए वादों को हादसे की 38वीं बरसी से पहले पूरा करवाने के लिए महीने भर के अभियान की शुरुआत की। संगठनों ने 3 दिसंबर, 2022 को आपदा की 38वीं वर्षगांठ के अवसर पर नई दिल्ली में एक शांतिपूर्ण रैली आयोजित करने की अपनी योजना साझा की।
भोपाल में यूनियन कार्बाइड हादसे की 37वीं बरसी के अवसर पर आयोजित एक पत्रकार वार्ता में गैस पीड़ित संगठनों के नेताओं ने राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा 37 साल बाद भी पीड़ितों को इंसाफ और इज्जत की जिंदगी मुहैया ना करा पाने की कड़ी निंदा की | संगठनों ने राज्य और केंद्र सरकार पर केंद्रित अपनी 37 दिवसीय मुहिम ’37 साल – 37सवाल’ पर भी जानकारी साझा की |
यूनियन कार्बाइड के जहरों से पीड़ित माता पिताओ के जन्मजात विकृति के साथ पैदा हो रहे बच्चों ने आज प्रधानमन्त्री और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री से आग्रह किया की यूनियन कार्बाइड/डाव केमिकल से उनके स्वास्थ्य को पहुंची क्षति के कानूनी अधिकार दिलाए | बच्चों ने “हम होंगें कामयाब” के गीत इस आशा से गाए कि उनकी सालों पुरानी मांगों को सुना जाए ताकि उन्हें इज्जत की जिंदगी मिल सके | गैस पीड़ितों को जन्मे बच्चों में स्वास्थ्य को पहुंची क्षति के वैज्ञानिक सबूत, न्यायिक स्वीकृति और कानूनी सिद्धांतों के समर्थन होने के बावजूद भी केंद्र और राज्य सरकार, इस बात को नजरअंदाज क्यों कर रही है, पूछती है भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की रशीदा बी |
37 दिन के अभियान के उनीसवे (19) दिन पर भोपाल में यूनियन कार्बाइड गैस हादसे के पीड़ितों ने भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय से जवाब माँगा | उन्होंने पूछा, “2011 में यूनियन कार्बाइड के जहरों से पीड़ितों के स्वास्थ्य पर शोध करने के लिए बना राष्ट्रीय पर्यावरणीय स्वास्थ्य शोध संस्थान (NIREH) ने भोपाल के पीड़ितों के स्वास्थ्य पर पड़े नुकसान पर वैज्ञानिक अध्ययन क्यों बन्द कर दिए हैं ?”
दिसंबर 84 के यूनियन कार्बाइड गैस काण्ड के पीड़ितों के बीच काम कर रहे चार संगठनों ने आज गैस काण्ड की 37 वीं बरसी के उपलक्ष्य में आज से गैस पीड़ितों के इन्साफ और इज्जत की जिंदगी की जीने के लिए 37 दिन का अभियान शुरू किया है |
भोपाल हादसा – 37 साल पर 37 सवाल की मुहिम के जरिए संगठन गैस पीड़ितों को मुआवज़ा, दोषियों को सज़ा, इलाज, रोजगार और समाजिक पुनर्वास तथा प्रदूषित जमीन के ज़हर सफाई जैसे जवलंत मुद्दों पर ध्यान खीचेंगे |